जगन ने कहा, समान नागरिक संहिता विधेयक का विरोध करेंगे
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की केंद्र सरकार की संभावित योजना को लेकर चिंतित है और जानकार सूत्रों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने जुलाई में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी आखिरी बैठक में इस विषय पर जानकारी ली थी.

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की केंद्र सरकार की संभावित योजना को लेकर चिंतित है और जानकार सूत्रों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने जुलाई में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी आखिरी बैठक में इस विषय पर जानकारी ली थी.
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने सत्तारूढ़ भाजपा को यह भी बता दिया है कि जब भी यह विधेयक पेश किया जाएगा, वह इसका विरोध करेगी.
जगन मोहन रेड्डी और मोदी के बीच बैठक इसके दो दिन बाद बीते 5 जुलाई को हुई. विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि रेड्डी ने प्रधानमंत्री को सूचित किया कि यदि विधेयक लाया गया, तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी.
रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय राज्य की राजनीति से तय होता है, जहां रेड्डी खुद को अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच अनुकूल स्थिति में पाते हैं.
वाईएसआर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जब हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में अल्पसंख्यक वोट मिले, तो उन्हें छोड़ना राजनीतिक रूप से आत्मघाती होगा.’
साल 2019 में वाईएसआर कांग्रेस ने भी तीन तलाक बिल का विरोध किया था.
सूत्रों के अनुसार, नायडू ने इसे यह कहते हुए टाल दिया था कि टीडीपी की स्थिति तय करने के लिए अभी भी समय है और नेताओं से तब तक इंतजार करने को कहा था जब तक सरकार सार्वजनिक तौर पर एक मसौदा कानून पेश नहीं कर देती.
पार्टी स्पष्ट है कि उसका विरोध यूसीसी पर संभावित कानून तक ही सीमित है. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 जैसे अधिक विवादास्पद विधेयकों पर वाईएसआर कांग्रेस सरकार के साथ खड़ी रहेगी.
बता दें कि यूसीसी का कार्यान्वयन दशकों से भाजपा के एजेंडे में रहा है, लेकिन बीते जून महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश में एक रैली के दौरान इसकी जोरदार वकालत करने के बाद इसे लेकर नए सिरे से राजनीतिक विमर्श शुरू हो गया है.
यूसीसी को लेकर प्रधानमंत्री की पुरजोर वकालत के बाद मेघालय, मिजोरम और नगालैंड में विभिन्न संगठनों ने इसके खिलाफ विरोधी तेवर अपना लिए हैं. छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने इसे आदिवासियों की पहचान और पारंपरिक प्रथाओं लिए खतरा बताया था.
विपक्षी दलों ने मोदी के बयान की आलोचना करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री कई मोर्चों पर उनकी सरकार की विफलता से ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी राजनीति का सहारा ले रहे हैं. मुस्लिम संगठनों ने भी प्रधानमंत्री की यूसीसी पर टिप्पणी को गैर-जरूरी बताया था.
बीते 5 जुलाई को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर यूसीसी के प्रति अपना विरोध दोहराया और कहा है कि ‘बहुसंख्यकवादी नैतिकता’ को अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों पर हावी नहीं होना चाहिए.
इसके अलावा उत्तर-पूर्व के राज्य मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने भारत के विधि आयोग को पत्र लिखकर कहा था कि यूसीसी सामान्य रूप से जातीय अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से मिजो समुदाय के हितों के खिलाफ है. वहीं, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा भी कह चुके हैं कि यूसीसी अपने मौजूदा स्वरूप में भारत की भावना के खिलाफ है.
बीते फरवरी महीने में मिजोरम विधानसभा ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था.
बीते जुलाई महीने में अरुणाचल प्रदेश में भाजपा गठबंधन में शामिल नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने भी यूसीसी के तत्काल कार्यान्वयन का विरोध करने का फैसला किया था.
बीते जुलाई में ही शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने विधि आयोग को अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा था कि यूसीसी ‘देश के हित में नहीं है’. पार्टी ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि विवादास्पद मामले पर निर्णय लेते समय सिख समुदाय का ‘सम्मान’ किया जाए.
मालूम हो कि समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है. वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में यह भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शुमार था. उत्तराखंड के अलावा मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक और गुजरात की भाजपा सरकारों ने इसे लागू करने की बात कही थी.
उत्तराखंड और गुजरात जैसे भाजपा शासित कुछ राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाया है. नवंबर-दिसंबर 2022 में संपन्न गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी समान नागरिक संहिता को लागू करना भाजपा के प्रमुख मुद्दों में शामिल था.
मालूम हो कि समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि सभी लोग, चाहे वे किसी भी क्षेत्र या धर्म के हों, नागरिक कानूनों के एक समूह के तहत बंधे होंगे.
समान नागरिक संहिता को सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक समान समूह के रूप में संदर्भित किया जाता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. वर्तमान में विभिन्न धर्मों के अलग-अलग व्यक्तिगत कानून (Personal Law) हैं.
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