तेलंगाना सरकार केसीआर के हस्तक्षेप के बाद प्रोफेसर हरगोपाल के खिलाफ यूएपीए के मामलों को वापस लेगी

तेलंगाना सरकार ने प्रोफेसर हरगोपाल, सुधा भारद्वाज और 150 अन्य लोगों के खिलाफ दायर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य पुलिस प्रमुख को मामले को ‘वापस’ लेने को कहा है.

तेलंगाना सरकार केसीआर के हस्तक्षेप के बाद प्रोफेसर हरगोपाल के खिलाफ यूएपीए के मामलों को वापस लेगी
Cases were filed against Prof. Haragopal, a retired professor of the University of Hyderabad. File | Photo Credit: The Hindu

तेलंगाना सरकार ने प्रोफेसर हरगोपाल, सुधा भारद्वाज और 150 अन्य लोगों के खिलाफ दायर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राज्य पुलिस प्रमुख को मामले को ‘वापस’ लेने को कहा है.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अंजनी कुमार से मामले के बारे में पूछताछ की और इस मामले में कठोर कानून (यूएपीए) लगाने की आवश्यकता पर टिप्पणी की है. खुद मुख्यमंत्री के निर्देश से पुलिस अब इस मामले की तफ्तीश कर रही है, इसे वापस लिया जा सकता है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पूरी संभावना है कि मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा और जब चार्जशीट दायर की जाएगी तो प्रो. हरगोपाल और 151 अन्य लोगों के नाम का उल्लेख नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि यूएपीए मामले को आसानी से वापस नहीं लिया जा सकता है और अगर पुलिस को अदालत द्वारा नोट किए जाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिलता है तो उसे मामले को वापस लेने के लिए भी उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा.

बीते बृहस्पतिवार (15 जून) को खबर सामने आई थी कि तेलंगाना के मुलुगु जिले की तदवई पुलिस ने प्रोफेसर हरगोपाल और 151 अन्य के खिलाफ अगस्त 2022 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, जिसमें यूएपीए भी शामिल है.

एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि आरोपियों ने ‘बंदूक की नोक पर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की सत्ता हथियाने’ की कोशिश की थी.

इस मामले में नामजद लोगों में हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरगोपाल के अलावा, उस्मानिया विश्वविद्यालय से रिटायर पत्रकारिता की प्रोफेसर पद्मजा शॉ, तेलंगाना सिविल लिबर्टीज कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर गड्डम लक्ष्मण, इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स के जस्टिस (सेवानिवृत्त) एच. सुरेश, कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज, वकील सुरेंद्र गाडलिंग और कार्यकर्ता अरुण फरेरा प्रमुख हैं.

एफआईआर में नामजद लोगों में से इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन्हें पुलिस से कोई नोटिस नहीं मिला है.

बीते 15 जून को यह मामला तब प्रकाश में आया, जब पीपुल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के अध्यक्ष चंद्रमौली ने रंगारेड्डी जिले में एलबी नगर अदालत का दरवाजा खटखटाया.

चंद्रमौली की अपील के आधार पर अदालत ने संबंधित अधिकारियों को उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर पेश करने का निर्देश दिया. पुलिस ने एक एफआईआर पेश की, जिसमें यूएपीए सहित विभिन्न धाराओं के तहत प्रोफेसर हरगोपाल समेत 152 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है.

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