सिर्फ कपड़े सिलना नहीं भ्रष्टाचार के धागे खोलना भी है इस टेलर का काम ! आरटीआई को बनाया हथियार

केवल सोच का ही फर्क होता है, वरना समस्याएं आपको कमजोर नही बल्कि मज़बूत बनाती हैं ये पंक्तियां सटीक बैठती है श्रीनगर गढ़वाल के कुशलानाथ पर. पेशे से दर्जी कुशलानाथ ने परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने से बेहतर संघर्ष करने का रास्ता चुना. इसी संघर्ष का नतीजा है कि आज श्रीनगर व आस-पास के क्षेत्र में कुशलानाथ किसी पहचान के मोहताज नहीं है. पारिवारिक परिस्थतियों के चलते 12वीं तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ कुशलानाथ ने दर्जी का काम चुना ओर श्रीनगर में दुकान खोल कपड़े सिलने लगे. लेकिन कहते हैं न कि अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां कैसी भी हो आप उनको अपने अनुकूल बना लेते हो.

सिर्फ कपड़े सिलना नहीं भ्रष्टाचार के धागे खोलना भी है इस टेलर का काम ! आरटीआई को बनाया हथियार

केवल सोच का ही फर्क होता है, वरना समस्याएं आपको कमजोर नही बल्कि मज़बूत बनाती हैं ये पंक्तियां सटीक बैठती है श्रीनगर गढ़वाल के कुशलानाथ पर. पेशे से दर्जी कुशलानाथ ने परिस्थितियों के आगे घुटने टेकने से बेहतर संघर्ष करने का रास्ता चुना. इसी संघर्ष का नतीजा है कि आज श्रीनगर व आस-पास के क्षेत्र में कुशलानाथ किसी पहचान के मोहताज नहीं है. पारिवारिक परिस्थतियों के चलते 12वीं तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ कुशलानाथ ने दर्जी का काम चुना ओर श्रीनगर में दुकान खोल कपड़े सिलने लगे. लेकिन कहते हैं न कि अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां कैसी भी हो आप उनको अपने अनुकूल बना लेते हो.

कुशलानाथ बताते हैं कि वें टिहरी जिले के घनसाली तहसील अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. जब वे रोजगार की तलाश में श्रीनगर आये तो यहां उन्होंने टेलरिंग का कार्य किया, लेकिन जब वें देखते थे कि कई निर्धन वंचित लोग पैसे के अभाव में अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं तो उन्होंने आरटीई अर्थात शिक्षा का अधिकार और आरटीआई अर्थात सूचना का अधिकार को अपना हथियार बना लिया.अब ना केवल कुशलानाथ कपड़े सिलते है बल्कि भ्रष्टाचार के धागे भी खोलना इनका काम है.

आरटीआई व आरटीई को बनाया हथियार

कुशलानाथ बताते हैं कि उन्होंने गरीबी देखी है, जो अभाव उन्होंने अपने जीवन में देखे वह कोई और न देखे इसके लिए वें हमेशा समाज सेवा में लगे रहते हैं. जब श्रीनगर में सिलाई की दुकान खोली तो अक्सर ऐसे लोग उन्हें मिलते थे जो सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते थे. उन्हें उनका हक दिलाने के लिए 2008 से आरटीआई (Right to Information) और 2010 से आरटीई (Right to Education) एक्टिविस्ट का बनने का फैसला लिया . उन्होंने अब तक आरटीई के जरीए 650 से ज्यादा छात्रों को प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दिलाई है. साथ ही राशन कार्ड भ्रष्टाचार, नगर क्षेत्र के भ्रष्टाचार के मामले उजागर किये तो कई वंचित लोगों को रहने के लिए आवास उपलब्ध कराने में योगदान दिया है.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है लक्ष्य

कुशलानाथ अब तक कई महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दे चुके है, ताकि वे आत्मनिर्भर बनकर स्वरोजगार की राह पर चल सके. उनके द्वारा प्रशिक्षित 80 से अधिक महिलाएं वर्तमान में सिलाई के काम से अपना स्वरोजगार कर रही है. कुशलानाथ बताते है कि अगर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना है तो उन्हें रोजगार परक कौशल अपने अंदर विकसित करना पड़ेगा.

आवारा पशुओं के लिए गौशाला निर्माण में अहम भूमिका

कुशलानाथ बताते हैं कि नगर क्षेत्र में लगातार आवारा जानवरों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में इन जानवरों से पैदल व वाहन पर चल रहे लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में उनके द्वारा इन आवारा जानवरों को रहने के लिए गौशाला निर्माण के लिए 10 नाली भूमि दिलवाई और 15 लाख रुपये पशुपालन विभाग से स्वीकृत करवाये. साथ ही वर्तमान में 2 करोड़ 40 लाख का इस्टिमेट शासन को भेज दिया है. जिससे लगभग 300 आवारा जानवरों के रहने की व्यवस्था होगी.

सरकार की योजनाओं का जनता को मिले लाभ

कुशलानाथ का मानना है कि उनका लक्ष्य है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जनता को मिल सके. गरीब, वंचित व जिन्हें इन योजनाओं की जानकारी नहीं होती है उन तक लाभ पहुंचाना उनका उद्देश्य है और इसके लिए वे निरंतर कार्य करते रहेंगे.

मुक्त और स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें। लिंक पर क्लिंक करें और मदद करें ...✅