कोलकाता विधानसभा ने मणिपुर में हिंसा की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया, ममता ने पीएम से बयान की मांग की
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. इस दौरान विपक्षी भाजपा ने प्रस्ताव को ‘राजनीति से प्रेरित’ और ‘अवैध’ बताते हुए सदन से वॉकआउट कर लिया.

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. इस दौरान विपक्षी भाजपा ने प्रस्ताव को ‘राजनीति से प्रेरित’ और ‘अवैध’ बताते हुए सदन से वॉकआउट कर लिया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सदन में नियम 185 के तहत संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय द्वारा रखे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि सदन इस तरह के अमानवीय और बर्बर कार्यों की कड़ी से कड़ी निंदा करता है और केंद्र से बिना किसी देरी के मणिपुर में शांति बहाल करने और वहां के लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करता है.
विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘मणिपुर में आतंक का राज कायम करने के लिए महिलाओं पर क्रूर हमले और दुर्व्यवहार को जरिया बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप बदले की भावना से किए गए ऐसे हमलों की बाढ़ आ गई है, जिससे जान-माल की हानि, आगजनी, लूटपाट आदि हुई है… महिलाओं पर ऐसे क्रूर हमले किसी भी सभ्य समाज की सोच-समझ से परे हैं.’
डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के समापन पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो कोई भी मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहता, वह ‘मानवता विरोधी, शांति विरोधी और भारत विरोधी’ है.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को मणिपुर पर (संसद में) बयान देना चाहिए. यह शर्म की बात है कि प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जा सकते हैं, लेकिन मणिपुर नहीं जा सकते.’
भाजपा विधायकों के विरोध के बीच बनर्जी ने कहा, ‘केंद्र शांति बहाल करने में असमर्थ क्यों है? यह भाजपा की ही नीतियां हैं जिनके कारण यह स्थिति पैदा हुई है. अगर प्रधानमंत्री मणिपुर में शांति बहाल करने में असमर्थ हैं, तो हमें (विपक्षी गठबंधन इंडिया) को (पूर्वोत्तर राज्य में) शांति बहाल करने की अनुमति दी जाए.’
बनर्जी ने विपक्षी गठबंधन के सहयोगियों से भी अपने-अपने राज्यों में इसी तरह का प्रस्ताव लाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘मणिपुर पिछले कुछ महीनों से जल रहा है और केंद्र सिर्फ देख रहा है. मैं विपक्षी दलों भी से अपने-अपने राज्यों में इसी तरह का प्रस्ताव लाने का अनुरोध करूंगी.’
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते कांग्रेस शासित राजस्थान में विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था.
बनर्जी ने भाजपा पर भी निशाना साधा, जो मणिपुर के साथ-साथ केंद्र में भी सत्ता में है. उन्होंने कहा, ‘मैंने सोचा था कि यह एक स्वस्थ चर्चा होगी, लेकिन दुर्भाग्य से भाजपा ने बंगाल की छवि खराब करना शुरू कर दिया. उन्हें यह बात हजम नहीं हो रही है कि बंगाल प्रगति कर रहा है. वे केवल बेटी जलाओ में व्यस्त हैं.’
जैसे ही भाजपा विधायकों ने नारे लगाए, टीएमसी प्रमुख ने कहा, ‘हम गिरगिट नहीं हैं. हम रंग नहीं बदलते. हम भौंकते नहीं हैं. हम मां-माटी-मानुष की पार्टी हैं.’
उन्होंने कहा, ‘चिंता मत करो. भारत बना रहेगा और भाजपा एक कंपनी बन जाएगी.’ साथ ही, उन्होंने भाजपा को चेतावनी दी कि एक बार जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ केंद्र में सत्ता में आ जाएगा, तो वे भाजपा नेताओं के खिलाफ हर मामले की जांच करेंगे.’
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा नेताओं ने तर्क दिया कि मणिपुर में हिंसा पूर्वोत्तर राज्य का ‘आंतरिक मामला’ है और टीएमसी को पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव नहीं लाना चाहिए.
भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, ‘सबसे पहले, यह एक अलग राज्य का आंतरिक मसला है. साथ ही, मामला विचाराधीन है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है. यह प्रस्ताव (विधानसभा में) लाना गैरकानूनी है. टीएमसी केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यह प्रस्ताव लाई है.’
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा, ‘मणिपुर में जो हुआ, वह दो समुदायों के बीच की जातीय लड़ाई है. बलात्कार उसी का बाय-प्रोडक्ट है. इसकी तुलना निर्भया (दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड) घटना या पश्चिम बंगाल की घटना से न करें. हालांकि, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पहले ही कह चुके हैं कि इस घटना के जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन यहां पश्चिम बंगाल में, ऐसी ही समान घटनाओं के मामले में ऐसा कहा गया कि यह घटनाएं ‘छोटी’ हैं.’
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