जम्मू-कश्मीर: दलित आईएएस अधिकारी ने एलजी, मुख्य सचिव के खिलाफ "उत्पीड़न, अपमान" की शिकायत दर्ज कराई
जम्मू कश्मीर के एक आईएएस अधिकारी अशोक कुमार परमार ने सूबे के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा और मुख्य सचिव अरुण मेहता पर ‘उत्पीड़न और अपमानित करने’ का आरोप लगाया है.

जम्मू कश्मीर के एक आईएएस अधिकारी अशोक कुमार परमार ने सूबे के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा और मुख्य सचिव अरुण मेहता पर ‘उत्पीड़न और अपमानित करने’ का आरोप लगाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, दलित समुदाय से आने वाले परमार 1992 एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी हैं और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष को भेजी शिकायत में उन्होंने सिन्हा और मेहता पर ‘अनुसूचित जाति होने के कारण उत्पीड़न, अपमान, धमकी, अत्याचारपूर्ण व्यवहार और बार-बार ट्रांसफर’ का आरोप लगाया.
वर्तमान में परमार सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के अध्यक्ष के बतौर काम कर रहे हैं. मई 2022 में वे जम्मू कश्मीर में जल शक्ति विभाग के प्रमुख सचिव थे, जिस दौरान उन्होंने एलजी, मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को ‘जल जीवन मिशन के अमल की निराशाजनक स्थिति’ के बारे में सूचित किया था, जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि इसे ‘SWOT’ (स्ट्रेंथ, वीकनेस ऑपर्च्युनिटी और थ्रेट) विश्लेषण’ किए बिना लागू किया जा रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन का काम धीमी गति से हो रहा था क्योंकि कामों का आवंटन गलत और दोषपूर्ण प्रक्रिया से हो रहा था और मैनुअल ऑफ प्रोक्योरमेंट ऑफ वर्क्स, 2019 के एक खंड कि एक ठेकेदार को एक समय में केवल दो काम दिए जा सकते थे.’
परमार ने कहा कि उन्हें ‘भारत सरकार की ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करते हुए लगातार तबादलों’ का सामना करना पड़ा है. एनसीएससी को दी गई शिकायत में कहा गया है कि ‘उनके अनुसूचित जाति से होने से जुड़े पूर्वाग्रहों और जल जीवन मिशन में गड़बड़ियों को उजागर करने के चलते जानबूझकर उन्हें धमकाया गया और उनका उत्पीड़न किया गया.’
आईएएस अधिकारी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि एलजी सिन्हा, मुख्य सचिव मेहता को झूठे मामलों में फंसाकर उनकी प्रतिष्ठा और करिअर को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में कई वित्तीय अनियमितताओं और मुख्य सचिव मेहता, एलजी के सलाहकार आरआर भटनागर और अन्य की चूकों की ओर इशारा किया था.
परमार ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय को भी जम्मू कश्मीर के अधिकारियों द्वारा जल जीवन मिशन के अमल के संबंध में झूठे, मनगढ़ंत, भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत आंकड़े उपलब्ध कराने के बारे में सूचित किया है.
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