भूमि योजना केवल आदिवासियों के लिए आरक्षित है: जम्मू-कश्मीर प्रशासन

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते 25 अगस्त को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत भूमिहीनों के लिए भूमि केवल इस केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों के लिए आरक्षित कर दी.

भूमि योजना केवल आदिवासियों के लिए आरक्षित है: जम्मू-कश्मीर प्रशासन
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत केवल केंद्र शासित प्रदेश के निवासियों के लिए भूमिहीन योजना के लिए भूमि आरक्षित की है। | फोटो क्रेडिट: एएनआई

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते 25 अगस्त को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत भूमिहीनों के लिए भूमि केवल इस केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों के लिए आरक्षित कर दी.

नवीनतम सरकारी आदेश के अनुसार, ‘एक व्यक्ति को भूमिहीन माना जाएगा, अगर वह जम्मू कश्मीर का निवासी है, उसका एक अलग परिवार है और उसके पास अपने नाम पर या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर जमीन नहीं है या वह पांच मरला या उससे अधिक जमीन पाने का हकदार नहीं है.’

आदेश में कहा गया है, ‘जमीन एकमुश्त प्रीमियम के रूप में 100 रुपये प्रति मरला की टोकन राशि के भुगतान पर पट्टे पर दी जाएगी और जम्मू और कश्मीर भूमि अनुदान नियम, 2022 में छूट देते हुए जमीन के किराये के रूप में प्रति वर्ष 1 रुपये प्रति मरला की मामूली राशि ली जाएगी.’

इसमें कहा गया है कि पट्टा 40 साल की अवधि के लिए होगा, जिसे सभी औपचारिकताओं और मानदंडों को पूरा करने के बाद अगले 40 साल की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है.

आदेश में कहा गया है कि सभी उपायुक्तों को मामलों की जांच के लिए संबंधित तहसीलदार को भेजने का निर्देश दिया गया है, जो राज्य की भूमि की पहचान करेंगे और लाभार्थियों के विवरण को सत्यापित करेंगे, जिसमें उनकी भूमिहीन होने की स्थिति भी शामिल है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में 2,711 भूमिहीन परिवारों को जमीन दी गई है. कुल 1,99,550 परिवारों की पहचान बेघर के रूप में की गई है.

बाहरी लोगों को बसाने का आरोप

जम्मू कश्मीर प्रशासन के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने दावा किया कि इसका उद्देश्य केंद्रशासित प्रदेश में बाहरी लोगों को बसाना है. पार्टी ने इस संबंध में ‘और अधिक पारदर्शिता’ की अपील की है.

पीडीपी ने उपराज्यपाल प्रशासन पर भूमिहीनों को जमीन देने की योजना की आड़ में बाहरी लोगों को बसाने का आरोप लगाया है. हालांकि उपराज्यपाल प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार किया है.

एक बयान में पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सैयद सुहैल बुखारी ने कहा कि भूमिहीनों के लिए भूमि योजना से संबंधित इस कदम के बारे में और स्पष्टता की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक गुजरते दिन और नीति से संबंधित नए विकास के साथ यह भावना उभरती है कि सरकार महत्वपूर्ण जानकारी छिपा लेती है, जिससे योजना के पीछे के सच्चे इरादों के बारे में जनता के बीच संदेह बढ़ रहा है.’

उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण प्रश्न जिसके जवाब की आवश्यकता है, वह इन निवासियों की पहचान है. बुखारी ने कहा, ‘पार्टी के पास यह जानकारी है कि गैर-राज्य के कई लोगों को निवास प्रमाण पत्र दिए गए थे.’

विशेष रूप से गैर-स्थानीय लोगों को निवासियों के रूप में शामिल करने के संदर्भ में, उन्होंने सरकार से नीति के वास्तविक जनसांख्यिकीय प्रभाव को बताने का आग्रह किया.

बुखारी ने कहा, ‘पीडीपी का लंबे समय से यह मानना रहा है कि प्रशासन का इरादा जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने का है. इस नीति और अन्य पहलों की आड़ में यह क्षेत्र के बाहर से व्यक्तियों को यहां स्थानांतरित करने की योजना प्रतीत होती है, जिससे जम्मू और कश्मीर की सामाजिक संरचना और जनसांख्यिकीय पहचान में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा.’

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