झारखंड के बुद्ध पहाड़ के आधे से अधिक निवासियों के पास सुरक्षित पेयजल, शौचालय तक पहुंच नहीं है: सरकारी सर्वेक्षण
झारखंड के बुद्ध पहाड़ क्षेत्र के 27 गांवों में, 55 प्रतिशत से अधिक निवासियों के पास सुरक्षित पेयजल तक पहुंच नहीं है, आधे से अधिक बिजली के बिना हैं और 60 प्रतिशत के पास शौचालय तक पहुंच नहीं है। ये उस क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति के निष्कर्ष थे जो कभी माओवादियों का गढ़ था।

झारखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के 27 गांवों में 55 प्रतिशत से अधिक लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है, आधे से अधिक बिना बिजली के हैं और 60 फीसदी शौचालय से वंचित हैं.
लगभग 20,000 की आबादी और गढ़वा एवं लातेहार जिलों के 60 किमी के दायरे में फैले बूढ़ा पहाड़ को पिछले साल ही माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया गया था. क्षेत्र में विकास लाने के विचार के साथ सरकार ने बूढ़ा पहाड़ विकास योजना (बीपीडीपी) की शुरुआत की. यह रिपोर्ट गांव, परिवार और व्यक्तिगत स्तर पर किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार की गई थी.
बीपीडीपी रिपोर्ट 1,000 से अधिक पृष्ठों की है और इसमें क्षेत्र की तीन पंचायतों – लातेहार में अक्सी एवं ओरसा और गढ़वा में टेहरी- के सभी 19,896 निवासियों के नाम शामिल हैं.
योजना पर 250 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. ब्लूप्रिंट में सामाजिक आर्थिक विकास के लिए कदम उठाए गए हैं, जिसमें गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों से जोड़ना, भूमिहीनों को भूमि का पट्टा देना, व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण करना और 200 किमी से अधिक कंक्रीट सड़कों और पुलों का निर्माण जैसे अन्य बुनियादी विकास कार्य शामिल हैं.
बीपीडीपी रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में विकास की स्थिति का आकलन करने के बाद पिछले साल अक्टूबर में गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम शुरू किया गया था.
27 जनवरी, 2023 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना की नींव रखी थी और तत्कालीन योजना एवं विकास सचिव अमिताभ कौशल के अधीन एक समिति का गठन किया गया.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के अंतर्गत रहने वाले 3,809 परिवारों का एक व्यक्तिगत सर्वेक्षण किया गया – इनमें तीन-चौथाई से अधिक अनुसूचित जनजाति के हैं – और सामाजिक, आर्थिक एवं बुनियादी ढांचे की जरूरतों का आकलन किया गया. सभी विभागों में प्रस्तुतियां दी गई हैं और संपूर्ण सर्वेक्षण निष्कर्षों को रिकॉर्ड में रखा गया है ताकि बाद के चरण में संख्याओं में हेराफेरी न हो. इस पर काम जल्द ही शुरू होगा.’
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