फर्जी खबरों पर स्वैच्छिक एफआईआर दर्ज करें: कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने पुलिस से कहा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कर्नाटक पुलिस को गलत सूचना, नफरत फैलाने वाले भाषण और नैतिक पुलिसिंग में शामिल लोगों के खिलाफ स्वैच्छिक प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करके सक्रिय रूप से कानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया, उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज होने का इंतजार नहीं करना चाहिए।

फर्जी खबरों पर स्वैच्छिक एफआईआर दर्ज करें: कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने पुलिस से कहा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को बेंगलुरु में डीजी और आईजी कार्यालय में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की। (एएनआई)

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को राज्य पुलिस को गलत सूचना, नफरत फैलाने वाले भाषण और मोरल पुलिसिंग में शामिल लोगों के खिलाफ स्वैच्छिक एफआईआर दर्ज करके सक्रिय रूप से कानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज होने का इंतजार नहीं करना चाहिए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धारमैया ने कहा कि लोगों ने नेतृत्व परिवर्तन के लिए मतदान किया था और सरकार को तदनुसार जवाब देना चाहिए.

ये निर्देश शुक्रवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक कार्यालय में आयोजित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक के दौरान पुलिस अधिकारियों को दिए गए.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति जीरो टॉलरेंस रखते हैं. चाहे वह कोई भी हो, उनका धर्म या पार्टी संबद्धता कुछ भी हो, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राज्य में कोई सांप्रदायिक हिंसा न हो. समाज की शांति भंग करने वालों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए.’

मामले को लेकर शुक्रवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस को चैनल के संपादक के खिलाफ त्वरित कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया मामला बनता है और इसकी जांच होनी चाहिए.

अदालत ने यह भी कहा कि वह चैनल के संपादक द्वारा एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा कर देगी और तब तक हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है.

सिद्धारमैया ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के अधिकारियों को उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र में गैरकानूनी गतिविधियों और संगठित अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराएगी. उन्होंने जोर दिया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई केवल कनिष्ठ अधिकारियों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों पर भी लागू होगी.

उन्होंने कहा, ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई आमतौर पर केवल कनिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ की जाती है, वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ नहीं. इस प्रथा को छोड़ते हुए हमने डीसीपी और एसपी को उनके अधिकार क्षेत्र में अनियंत्रित अपराध और संगठित अवैध गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने अनुभव से जानता हूं कि क्षेत्राधिकार अधिकारियों की जानकारी के बिना कोई भी अपराध नहीं हो सकता. मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को न केवल पुलिस थानों का दौरा करने का निर्देश दिया है, बल्कि फील्ड पर रहने और सड़कों पर नियमित गश्त करने का भी निर्देश दिया है.’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पुलिस पर अक्सर आम लोगों के साथ बातचीत करते समय मनमानी करने का आरोप लगाया जाता है. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि पुलिस एक जन-अनुकूल पुलिस प्रणाली बनाएगी और मदद और न्याय की तलाश में पुलिस स्टेशन आने वाले किसी भी व्यक्ति को विश्वास और सांत्वना देगी. मनमानी की किसी भी घटना से गंभीरता से निपटा जाएगा.’

सिद्धारमैया ने कहा, ‘अपराध मुक्त समाज बनाना अव्यावहारिक होगा लेकिन अपराध पर नियंत्रण करना चाहते हैं. लेकिन हम निश्चित रूप से नशीली दवाओं के खतरे को पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं. मैंने अधिकारियों से राज्य में, विशेषकर बेंगलुरु में नशीले पदार्थों के खिलाफ एक विशेष अभियान शुरू करने को कहा है. हम इसके लिए एक विशेष टीम बनाने के बारे में भी सोच रहे हैं.’

सिद्धारमैया ने हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने वाली केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) को मजबूत करने के लिए 230 नए कर्मियों की मंजूरी की भी घोषणा की

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