सरैयाहाट थाना द्वारा आर.टी.आई.कार्यकर्ता एवं पत्रकार पर की गई साजिश का सच : आर.टी.आई.एक्टिविस्ट ने जताया खतरा

झारखंड की उपराजधानी दुमका के जिला न्यायालय में सरैयाहाट थाना क्षेत्र से संबंधित सैकड़ों लम्बित पड़े दर्ज मामले से कौन वाकिफ नहीं है। 

सरैयाहाट थाना द्वारा आर.टी.आई.कार्यकर्ता एवं पत्रकार पर की गई साजिश का सच : आर.टी.आई.एक्टिविस्ट ने जताया खतरा

झारखंड की उपराजधानी दुमका के जिला न्यायालय में सरैयाहाट थाना क्षेत्र से संबंधित सैकड़ों लम्बित पड़े दर्ज मामले से कौन वाकिफ नहीं है। 

ऐसा कोई भी दिन नहीं है जिसमें अमानवीय पुलिसिंग और ममलची किस्म के दलालों द्वारा धोखे से अभियुक्त बनाए गए सरैयाहाट क्षेत्र के गरीब तबके के लोग न्याय पाने के लिए तारीख पर तारीख करता हुआ दुमका कोर्ट कैम्पस में भटकता नजर न आ रहा हो?

चूंकि किसी भी क्षेत्र का थाना वहां की जनता के लिए न्यायालय की छोटी और प्रथम ईकाई मानी जाती है जहां उस क्षेत्र के पीड़ित लोग अपनी शिकायत लेकर थानेदार से न्याय की गुहार लगाने आते हैं। परन्तु दुमका पुलिस मुख्यालय अंतर्गत सरैयाहाट थाना की बात ही कुछ अलग है, जहां न्याय मिलता नहीं, बेचा जाता है? धाराएं लगती नहीं, लगवाई जाती हैं? और लग चुकी धारा भी पैसे से हटा भी दिया जाता है?

साक्ष्य कितने भी पुख्ता क्यों न हो, कुछ मनगढ़ंत रिपोर्ट पर उसे धराशायी कर देना और साक्ष्य की कमी बता देना सरैयाहाट थाने के वर्दीवाले देवता की पुरानी आदत है? 

सरैयाहाट थाने की पुलिस की वर्षों से चली आ रही इस अमानवीयता के खेल का असली राज क्या है? इससे बताने की जरूरत नहीं है? क्योंकि उस क्षेत्र का बच्चा-बच्चा भी जानता है कि इस थाने में क्या चलता है?

परन्तु सबसे बड़ी विडम्बना तो ये है कि जब नगद नारायण से प्रभावित होकर ऐसे बचकाना परन्तु प्राणघातक और जीवन-बर्बादक कृत्यों वाली पुलिसिंग रिपोर्ट सरैयाहाट थाने से चलकर जब दुमका कोर्ट पहुंचता है, तब तक पीड़ित के साथ या तो कोई हृदयविदारक घटना घटित हो चुकी होती है या तो उसे आर्थिक तबाही का सामना करना पड़ चुका होता है।

ऐसी ही कड़ी के तहत वर्दी के खौफ वाली व चतुराई पूर्ण पुलिसिंग कार्यप्रणाली में अभ्यस्त सरैयाहाट थाने की पुलिस के द्वारा उसी क्षेत्र के सरैयाहाट बी.आर.सी. में इसी वर्ष बीते फरवरी माह में की गई जांच-पड़ताल वाले मनगढ़ंत पुलिसिंग रिपोर्ट (जिसे माननीय न्यायालय के समक्ष भी भेजवाया गया है) का पर्दाफाश करते हुए, खोजी पत्रकार एवं आर.टी.आई.एक्टिविस्ट सुशील कुमार झा ने सरैयाहाट थाना से ऐसे पुलिसिंग रवैये की वजह का खुलासा करने के लिए बीते दिनांक 03.08.2023 को मनगढ़ंत और काल्पनिक "जब्त प्रदर्श" वाली एक अज्ञात स्टेशनरी सामग्री के हकीकत फिंगर-प्रिंट की फाॅरेन्सिक लैब-रिपोर्ट की अभिप्रमाणित छायाप्रति "सूचना का अधिकार अधिनियम 2005" के तहत मांगा  है। जो कि समाचार लिखने तक अप्राप्त है।

बताते चलें कि भ्रष्टाचार विरोधी आर.टी.आई. एक्टिविस्ट तथा समाज को सच का आईना दिखाने वाले खोची पत्रकार सुशील कुमार झा की चौंकाने वाली ईमानदारी और हौसले से आक्रोशित हुई सरैयाहाट बी.आर.सी. की पदाधिकारी (बी.ई.ई.ओ.) के द्वारा 3 दिनों के बाद किए गए काउंटर-केस को पहले तथा घटना के प्रथम-सूचक जख्मी पत्रकार से लिए गए आवेदन को केस-सीरियल में बाद का नंबर देने  की हेराफेरी करनेवाले सरैयाहाट प्रभारी विनय कुमार के राज का असली तथ्य क्या है? ये तो कोर्ट ही तय कर सकता है।

दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड की ये बी.ई.ई.ओ. बीना रानी है जो कुछ शातिर शिक्षकों के चंगुल में फंसकर अपनी बची-खुची प्रतिष्ठा को भी भ्रष्टाचारिता से धूमिल कर चुकी है? जिसका अफसोस शिक्षा विभाग के जिला मुख्यालय को भी है?

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